!! दोहा !!
गणपति की कर वन्दना, गुरु चरणन चित लाए ! प्रेतराज जी का लिखूँ, चालीसा हरषाए !! जय जय भूतादिक प्रबल, हरण सकल दुख भार ! वीर शिरोमणि जयति, जय प्रेतराज सरकार !!
!! चोपाई !!
जय जय प्रेतराज जगपावन ! महाप्रबल दुख ताप नसावन !! विकट्वीर करुणा के सागर ! भक्त कष्ट हर सब गुण आगर !! रतन जडित सिंहासन सोहे ! देखत सुर नर मुनि मन मोहे !! जगमग सिर पर मुकुट सुहावन ! कानन कुण्डल अति मनभावन !!
धनुष किरपाण बाण अरु भाला ! वीर वेष अति भ्रकुटि कराला !! गजारुढ संग सेना भारी ! बाजत ढोल म्रदंग जुझारी !! छ्त्र चँवर पंखा सिर डोलें ! भक्त व्रन्द मिल जय जय बोलें !! भक्त शिरोमणि वीर प्रचण्डा ! दुष्ट दलन शोभित भुजदण्डा !!
चलत सैन काँपत भु-तलह ! दर्शन करत मिटत कलिमलह !! घाटा मेंहदीपुर में आकर ! प्रगटे प्रेतराज गुण सागर !! लाल ध्वजा उड रही गगन में ! नाचत भक्त मगन हो मन में !! भक्त कामना पूरन स्वामी ! बजरंगी के सेवक नामी !!
इच्छा पूरन करने वाले ! दुख संकट सब हरने वाले !! जो जिस इच्छा से हैं आते ! मनवांछित फल सब वे हैं पाते !! रोगी सेवा में जो हैं आते ! शीघ्र स्वस्थ होकर घर हैं जाते !! भूत पिशाच जिन वैताला ! भागे देखत रुप विकराला !!
भोतिक शारीरिक सब पीडा ! मिटा शीघ्र करते हैं क्रीडा !! कठिन काज जग में हैं जेते ! रटत नाम पूरा सब होते !! तन मन से सेवा जो करते ! उनके कष्ट प्रभु सब हरते !! हे करुणामय स्वामी मेरे ! पडा हुआ हूँ दर पे तेरे !!
कोई तेरे सिवा ना मेरा ! मुझे एक आश्रय प्रभु तेरा !! लज्जा मेरी हाथ तिहारे ! पडा हुआ हूँ चरण सहारे !! या विधि अरज करे तन-मन से ! छूटत रोग-शोक सब तन से !! मेंहदीपुर अवतार लिया है ! भक्तों का दुख दूर किया है !!
रोगी पागल सन्तति हीना ! भूत व्याधि सुत अरु धन छीना !! जो जो तेरे द्वारे आते ! मनवांछित फल पा घर जाते !! महिमा भूतल पर छाई है ! भक्तों ने लीला गाई है !! महन्त गणेश पुरी तपधारी ! पूजा करते तन-मन वारी !!
हाथों में ले मुदगर घोटे ! दूत खडे रहते हैं मोटे !! लाल देह सिन्दूर बदन में ! काँपत थर-थर भूत भवन में !! जो कोई प्रेतराज चालीसा ! पाठ करे नित एक अरु हमेशा !! प्रातः काल स्नान करावै ! तेल और सिन्दूर लगावै !!
चन्दन इत्र फुलेल चढावै ! पुष्पन की माला पहनावै !! ले कपूर आरती उतारें ! करें प्रार्थना जयति उचारें !! उन के सभी कष्ट कट जाते ! हर्षित हो अपने घर जाते !! इच्छा पूरन करते जन की ! होती सफल कामना मन की !!
भक्त कष्ट हर अरि कुल घातक ! ध्यान करत छूटत सब पातक !! जय जय जय प्रेताधिराज जय ! जयति भुपति संकट हर जय !! जो नर पढत प्रेत चालीसा ! रहत ना कबहुँ दुख लवलेशा !! कह ‘सुखराम’ ध्यानधर मन में ! प्रेतराज पावन चरनन में !!
दुष्ट दलन जग अघ हरन ! समन सकल भव शूल !! जयति भक्त रक्षक सबल ! प्रेतराज सुख मूल !! विमल वेश अंजनि सुवन ! प्रेतराज बल धाम !! बसहु निरन्तर मम ह्र्दय ! कहत दास सुखराम !!
!! इति श्री प्रेतराज चालीसा !!