प्यारो घणो लागे जी नारायण
प्यारो घणो लागे जी नारायण थांको मालासेरी दरबार
मंदिरिया के आजु बाजू सरोवर भरिया हजार ऊँची ऊँची लहरें चाले ,ठण्डी चाले फुवांर॥ प्यारो
भांत भांत का रुक भरकड़ा पायो नही कोई पार कोयल मोर पपहिया बोले, बोले राग मलार॥ प्यारो
भोजा जी गोड़ी पर बैठा बगड़ावत सरदार मंदिर माही बैठी साडू माता महिमा अपरम्पार॥ प्यारो
लंबो चोडो मंदिर थांको छोड़ा है चौबार एक साल में दो- दो मेला आवे लाखों नरनार॥ प्यारो
राती जगा और जात जड़ूला आवे रोज अपार चम्पा लाल मालासेरी वालो थांका गावे मंगलाचार