तेरे जैसा राम भगत कोई हुआ ना होगा मतवाला, एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला।
आज अवध की शोभी लगती स्वर्ग लोक से भी प्यारी, १४ वर्षों बाद राम की राजतिलक की तयारी। हनुमत के दिल की मत पूछो झूम रहा है मतवाला, एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥
रतन जडित हीरो का हार जब लंकापति ने नज़र किया, राम ने सोचा आभूषण है सीता जी की और किया। सीता ने हनुमत को दे दिया, इसे पहन मेरे लाला, एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥
हार हाथ में ले कर हनुमत गुमा फिरा कर देख रहे, नहीं समझ में जब आया तब तोड़ तोड़ कर फैंक रहे। लंकापति मन में पछताया, पड़ा है बंदिर से पाला, एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥
लंकापति का धीरज टूटा क्रोध की भड़क उठी ज्वाला, भरी सभा में बोल उठा क्या पागल हो अंजलि लाला। अरे हार कीमती तोड़ डाला, पेड़ की डाल समझ डाला, एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥
हाथ जोड़ कर हनुमत बोले, मुझे है क्या कीमत से काम, मेरे काम की चीज वही है, जिस में बसते सीता राम। राम नज़र ना आया इसमें, यूँ बोले बजरंग बाला, एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥
इतनी बात सुनी हनुमत की, बोल उठा लंका वाला, तेरे में क्या राम बसा है, बीच सभा में कह डाला। चीर के सीना हनुमत ने सियाराम का दरश करा डाला, एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥