सप्तम नवदुर्गा: माता कालरात्रि
माता कालरात्रि का उपासना मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी। वामपादोल्ल सल्लोहलता कण्टक भूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
माता का स्वरूप
माताकालरात्रि के शरीर का रंग काला, बाल बिखरे हुए, गले मे मुण्ड माला, तीन नेत्र, गर्दभ है | दाहिना हाथ वारमुद्रा मे, दूसरा हाथ अभय मुद्रा मे है | बाई हाथ मे लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ मे खड्ग है |
आराधना महत्व
माताकालरात्रि की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति, दुश्मनो का नाश, तेज बड़ता है | माता अपने भक्तो को सभी प्रकार के दुखो ओर भय से मुक्त करती है ओर देवी वाक्सिद्धि ओर बुद्धि बल प्रदान करती है | दानव, दैत्य, राक्षस भूत-प्रेत माताकालरात्रि के स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर थक जाते है |