ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
इस मंत्र में ॐ परमपिता परमात्मा अर्थात परमेश्वर की शक्ति का प्रतीक है। ह्रीं मायाबीज है इसमें ह् शिव, र प्रकृति, नाद विश्वमाता एवं बिंदु दुखहरण है इसका तात्पर्य हुआ हे शिवयुक्त जननी आद्य शक्ति मेरे दुखों को दूर करें। श्रीं लक्ष्मी बीज है जिसमें श् महालक्ष्मी के लिए प्रयुक्त हुआ है, र धन संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है, ई महामाया, तो नाद जगतमाता की पुकार करता है, बिंदु दुखों का हरण करने वाला माना जाता है। कुल मिलकार श्रीं का तात्पर्य है, हे ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी मेरे दुखों का हरण करें व मेरे जीवन में समृद्धि की कोई कमी न हो। लक्ष्मीभयो नम: मां लक्ष्मी को पुकारते हुए उन्हें नमन करने के लिए इस्तेमाल किया गया है।
पूरे बीज मंत्र का अर्थ है, हे परमपिता परमात्मा, हे महामाया, हे मां लक्ष्मी मेरे दुखों को दूर करें मेरे जीवन को उन्नत व समृद्ध करें।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
किसी भी मंत्र का उद्देश्य संबंधित देवी-देवता को प्रसन्न करना होता है ताकि उक्त देवी-देवता की कृपा बनी रहे। इस महामंत्र का जाप भी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। विशेषकर ऋणमुक्ति के लिए यह मंत्र काफी प्रभावी माना जाता है। मान्यता है कि कमलगट्टे की माला से प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करने ऋणों का बोझ उतर जाता है और मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि बनी रहती है।
मंत्र के अग्र अंश ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं एवं पश्च अंश ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम: का अर्थ मां लक्ष्मी के बीज मंत्र में सपष्ट किया गया है। कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद में भी मां लक्ष्मी को पुकारते हुए उन्हें प्रसन्न करने एवं उनका प्रसाद पाने की कामना की गई है। इस मंत्र को संपुट मंत्र भी कह सकते हैं क्योंकि इसमें संपुट लगाये गये हैं।
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
घर परिवार में सुख व समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी का यह लक्ष्मी गायत्री मन्त्र भी काफी प्रसिद्ध है।
ॐ का अर्थ ईश्वर अथवा परमपिता परमात्मा रुप मां महालक्ष्मी जो भगवान श्री हरि अर्थात भगवान विष्णु की पत्नी हैं हम उ