सज धज के गुरु जी घर आये
सज धज के गुरु जी घर आये लोको वे मैं आज झली हो गई मैनु कुज भी समज ना आये लोको मैं आज झली हो गई
कदी भी नहीं सोचिया सी गुरु घर आन गे मेरा खजाना मेरी झोली विच पान गे ओहना ने चरण कमल घर पाए लोको वे मैं आज झली हो गई सज धज के गुरु जी घर आये
सत्संग विच सारी संगत बुलाई है गुरु जी दे भगता ने आज रौनक लगाई है आज शिव जी ने संख बजाए लोको मैं आज झली हो गई सज धज के गुरु जी घर आये
बड़ी रीजा नाल दरबार सज्या है गुरु जी न हलवे दा भोग लगाया है मुख मंडल गुरु दा मुस्काये लोको मैं झली हो गई सज धज के गुरु जी घर आये
फुला दी महक नाल घर मेरा भराया मैं भी तरी जो भी इथे आया ऊ भी तरिया सोन्दे जाग्दे गुरु नजर आये लोको मैं आज झली हो गई सज धज के गुरु जी घर आये