वो काला एक बांसुरी वाला, सुध बिसरा गया मोरी रे । माखन चोर वो नंदकिशोर जो, कर गयो मन की चोरी रे ॥ सुध बिसरा गया मोरी रे …
पनघट पे मोरी बईया मरोड़ी, मैं बोली तो मेरी मटकी फोड़ी । पईया परूँ करूँ बीनता मैं पर, माने ना वो एक मोरे रे ॥ सुध बिसरा गया मोरी रे …
छुप गयो फिर एक तान सुना के, कहाँ गयो एक बाण चला के । गोकुल ढूंढा मैंने मथुरी ढूंढी, कोई नगरिया ना छोड़ी रे ॥ सुध बिसरा गया मोरी रे …