विष्णु जी के मंत्र
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।
शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम। विश्वधारंगनसदृशम्मेघवर्णं शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्याननगमयम। वन्दे विष्णुम्भवभयहरं सर्व्वलोकैकनाथम।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव, त्वमेव विद्या, द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं ममः देवदेवा।।