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सिद्धिविनायक मंदिर (Siddhivinayaka Temple)

सिद्धिविनायक मंदिर गणेश जी का बहुत प्रसिद्द मंदिर है। जो भी पर्यटक मुंबई आते हैं, वो सिद्धिविनायक के दर्शन किये बिना नहीं लौटते। इस मंदिर में सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है, तथा कहा जाता है जो एक बार सिद्धिविनायक चला जाये, वो बार बार आये बिना रह नहीं पाता। यह गणपति का सबसे लोकप्रिय रूप है।

सिद्धिविनायक का इतिहास :- 

सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई के प्रभा देवी इलाके में स्थित है जहाँ न केवल हिन्दू बल्कि प्रत्येक धर्म के श्रद्धालु गणपति के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर के लिए मान्यता है की इसका निर्माण संवत 1692 में हुआ था, किन्तु सरकारी आंकड़ों के हिसाब से  मंदिर का निर्माण 19 नवम्बर 1801 में किया गया था। पूर्व में निर्माण के समय यह मंदिर बहुत

मंदिर की मुख्य प्रतिमा 

छोटा था, किंतु इसके विख्यात होते होते इसका पुनर्निर्माण भी कई बार हुआ। और फिर 1991 में महाराष्ट्र सरकार ने इस मंदिर के भव्य निर्माण के लिए 20 हज़ार वर्गफुट की ज़मीन प्रदान की। अब यह एक भव्य पांच मंजिला ईमारत का मंदिर है जहाँ प्रवचन गृह, गणेश संग्रहालय आदि बने हुए हैं। यहां दूसरी मंज़िल पर अस्पताल है जहाँ रोगियों का मुफ्त इलाज किया जाता है। मंदिर में एक लिफ्ट भी लगी हुई है जिसमे दूसरी मज़िल पर ही बनी रसोईघर से पुजारी प्रसाद लेकर गर्भगृह तक आते हैं।  

  इस मंदिर का निर्माण लक्ष्मण विट्ठु और देउबाई पाटिल द्वारा कराया गया था। वे दोनों निःसंतान थे और इस मंदिर का निर्माण उन्होंने इस उद्देश्य से कराया की लोग यहां आकर गणपति के आशीर्वाद से संतान प्राप्त कर सकें। समय के साथ साथ यह मंदिर अपने चमत्कारों के कारण अत्यंत प्रसिद्द हो गया और यहां आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती रही।

सिद्धिविनायक की विशेषता :- 

गणपति की अनेक प्रकार की प्रतिमाएं होती हैं, जिनका अपना अपना विशिष्ठ महत्व होता है। गणपति की विभिन्न प्रतिमाएं तथा उनका महत्व इस प्रकार है -

1. वाममुखी गणपति :

  वाममुखी गणपति वह होते हैं जिनकी सूंड का अग्रभाग बायीं ओर मुड़ा हुआ हो। इस प्रकार के गणेश घर पर पूजा के लिए उपयुक्त माने गए हैं। यदि इनकी पूजा में कोई त्रुटि हो तो उसका कोई दुष्परिणाम नहीं होता।

2. सिद्धिविनायक:-

   जिन प्रतिमाओं में गणेश जी की सूंड का अग्रभाग दायीं ओर मुड़ा हो वह दक्षिणमुखी होती है, और ऐसी प्रतिमाएं सिद्धिविनायक कहलाती हैं। गणपति की ऐसी मूर्तियां जाग्रत मानी जाती हैं, और इसी प्रकार की मूर्तियां मंदिरों में रखना उचित माना जाता है। क्योकि गणपति का सिद्धिविनायक रूप जाग्रत है इसलिए ऐसे गणपति की पूजा से वे जल्दी

सिद्धिविनायक ​का मुख्य परिसर 

प्रसन्न भी होते हैं और उतनी ही जल्दी क्रोधित भी होते हैं। इसलिए इनको मंदिर में स्थापित करके विधिविधान से इनका पूजन किया जाता है।

3. सीधी सूंड वाले विनायक:-

   गणेश जी की जिन प्रतिमाओं में सूंड सीधी होती है वह साधुओं और सन्यासियों द्वारा पूजी जाती है। ऐसी प्रतिमा उनको शांति, मोक्ष तथा सिद्धि प्रदान करती है।

अतः सिद्धिविनायक मंदिर की विशेषता है कि वहां पर दायीं ओर मुड़ी हुई सूंड है, और वह सिद्धपीठ से जुड़ी है। यहां गणपति जाग्रत रूप से विराजमान हैं तथा अपने भक्तो की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।  सिद्धिविनायक एक चतुर्भुजी विग्रह है, उनके दाएं हाथ में कमल और बाएं हाथ में अंकुश शोभायमान  है, निचले दाहिने हाथ में मोतियों की माला तथा बाएं हाथ में मोदक से भरा पात्र है। बाप्पा के दोनों तरफ उनकी पत्नियां रिद्धि तथा सिद्धि हैं। उनके मस्तक पर तीसरा नेत्र तथा एक सर्प जनेऊ की भांति लिपटा है।

दर्शन का प्रारूप:- 

बुधवार से सोमवार

काकड़ आरती - (प्रातः वंदन) 5.30 बजे से 6.00 बजे तक

श्री दर्शन - सुबह 6.00 बजे से दोपहर 12.15 बजे तक

नैवेद्य - दोपहर 12.15 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक

श्री दर्शन - दोपहर 12.30 बजे से शाम को 7.20 बजे तक

सिद्धिविनायक में गणेश महोत्सव

सांयकालीन आरती -  07.30 बजे से 08.00 बजे तक

श्री दर्शन - 8.00 बजे से 9.50 बजे तक

सेज आरती -  रात 9.50 बजे (दिन की अंतिम आरती)

मंगलवार को समय

श्री दर्शन - प्रातःकाल 3.15 बजे से 4.45 बजे तक

काकड़ आरती - (प्रातः वंदन) 5.00 बजे से 5.30 बजे तक

श्री दर्शन - सुबह 05.30 बजे से दोपहर 12.15 बजे तक

नैवेद्य - दोपहर 12.15 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक

श्री दर्शन - दोपहर 12.30 बजे से शाम को 8.45 बजे तक

आरती - रात्रि 9.30 बजे से 10.00 बजे तक

सेज आरती -  रात 9.50 बजे (दिन की अंतिम आरती)

सांयकालीन आरती -  12.30 बजे

मंदिर के दरवाज़े गणेश पूजा के लिए रात्रि के समय 8.45 से 10.00 बजे तक के लिए बंद कर दिए जाते हैं, उस समय दूर से गणपति के दर्शन किये जा सकते हैं। 

कैसे पहुचें? :-

मुंबई में किसी भी राज्य से आसानी से ट्रेन, बस अथवा हवाई जहाज द्वारा पंहुचा जा सकता है। यहां पर अंतर्राष्ट्रीय और अंतरराज्यीय दोनों ही एयरपोर्ट हैं, तथा छत्रपति शिवजी हवाई अड्डा सबसे निकटतम एयरपोर्ट है। मंदिर से नज़दीकी रेलवे स्टेशन दादर रेलवे स्टेशन है, तथा यहां से बस और टैक्सी दोनों की ही सुविधा हर समय उपलब्ध रहती है।

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