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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshwar Temple)

पवित्र नगरी द्वारका गुजरात के बाहरी क्षेत्र में स्थित है, जो श्री कृष्ण की नगरी के नाम से भी जानी जाती है। किन्तु यहां का नागेश्वर मंदिर भी एक प्रसिद्द मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यहां स्थित शिवलिंग शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। नागेश्वर अर्थात नागों का स्वामी, इस ज्योतिर्लिंग की महिमा शास्त्रों में भी बताई गयी है। यहां के विषय में कहा जाता है की यह शिवलिंग एक शिवभक्त द्वारा स्थापित किया गया जिसे अंत में शिवधाम की प्राप्ति हुई, अतः जो यहां श्रद्धा भाव से दर्शन करता है उसे शिवधाम की प्राप्ति होती है।

मंदिर का मुख्य परिसर

पौराणिक कथा:-

एक समय एक राज्य में सुप्रिय नाम का एक धर्मात्मा था, वह जात से तो वैश्य था किन्तु भक्ति में रमा रहता था। वह शिव का अनन्य भक्त था, निरंतर उनकी पूजा-अर्चना में और ध्यान में तल्लीन रहता था। उसके सभी कार्य शिव को ही समर्पित होते थे, उसकी इस शिव भक्ति से उसके आस पास के लोग भी प्रभावित थे। किन्तु उस राज्य में ही राज करने वाले राक्षस दारुक को यह बिलकुल पसंद न था। वह शिव भक्तों से सदैव क्रुद्ध रहता था और प्रजा को अपनी भक्ति करने के लिए विवश करता था।

वह हर शुभ कार्य में विघ्न डालता था और किसी भी प्रकार की पूजा अथवा यज्ञ आदि को होने नहीं देता था। वह निरंतर प्रयास करता था की सुप्रिय भी उसकी ही आराधना करे। किन्तु सुप्रिय उसके किसी भी बर्ताव से भयभीत नहीं होता था और शिव भक्ति में ही लीन  रहता था। एक बार सुप्रिय नौका से कही जा रहा था, दुष्ट दारुक को यह मौका उचित दिखा और उसने नौका पर आक्रमण कर दिया और नौका में सवार सभी यात्रियों को पकड़ कर कारागार  में डलवा दिया। किन्तु सुप्रिय यहां भी अतने नित्य के पूजा कर्म से नहीं हटा और वहीं कारागार में शिव की आराधना करने लगा। वह अन्य बंदियों को भी शिव  प्रेरित करने लगा, इससे दारुक और भी अधिक क्रोधित हो गया। वह कारागार में पंहुचा और देखा सुप्रिय उस समय भी आँखे बंद किये शिव का ध्यान कर रहा था।

दारुक भीषण स्वर में बोला, अरे दुष्ट तू यहां आँखे बंद कर के क्या षड्यंत्र कर रहा है? किन्तु सुप्रिय ने अपना ध्यान नहीं छोड़ा और आँखे बंद करके शिव को ही याद करता रहा। यह देख दारुक क्रोध की अग्नि में जल उठा और उसने सैनिकों से तत्काल सभी बंदियों को मारने के लिए कहा। किन्तु सुप्रिय यह सुनकर भी भयभीत न हुआ और अपनी भक्ति में रमा रहा।

वह एकाग्र मन से शिवजी से अपनी और अपने साथ के बंदियों की मुक्ति के लिए प्रार्थना करने लगा। उसे अपनी भोलेनाथ पर पूर्ण विश्वास था की वे उसे बचा लेंगे। उसकी प्रार्थना सुन भगवान शंकर उस कारागार में एक तेज के रूप में प्रकट हुए और अपने भक्त सुप्रिय को अपना अस्त्र पाशुपतास्त्र दिया, जिस से उसने दारुक तथा उसके सैनिकों को मार डाला और समस्त नगरवासियों को उसके अत्याचार से मुक्त किया। उसने जीवनभर शिवजी की महिमा गए और सबको उनकी भक्ति के लिए प्रेरित किया और अंत में वह संसार से मुक्त होकर शिवधाम पहुंच गया। जिस कारागार में शिव जी प्रकट हुए थे वहां उनके जाने के बाद एक ज्योतिर्लिग प्रकट हुआ और यही नागेश्वर नाम से प्रसिद्द हुआ।

मंदिर में स्थित शिवलिंग 

मंदिर की विशेषता:-

यह ज्योतिर्लिंग शिव के पृथ्वी में उपस्थित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, इसका क्रम  दसवां है। हालाँकि इस ज्योतिर्लिंग का स्थान विवादस्पद है, चूँकि शिवपुराण के अनुसार यह दारुक वन में स्थित है। इसलिए यह अन्य दो ज्योतिर्लिंगों, जो की क्रमशः अल्मोड़ा और महाराष्ट्र में बताये जाते हैं, के समान  ही है। किन्तु फिर भी अन्य दो से यह मंदिर ज़्यादा प्रसिद्द है इसलिए भक्तों की भीड़ भी यही आती है। नागेश्वर क्यूंकि नागों के ईश्वर हैं इसलिए विष आदि से बचाव के लिए लोग भोले बाबा की शरण में यहां आते हैं। यह स्थान गुजरात के द्वारका से 25 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार प्रसिद्द भजन गायक व सुपर केसेट्स के मालिक स्वर्गीय श्री गुलशन कुमार ने करवाया था। इस मंदिर के बाहर पद्मासन मुद्रा में शिवजी की विशाल प्रतिमा स्थित है। यह प्रतिमा 125 फ़ीट ऊँची और 25 फ़ीट चौड़ी है। मंदिर के अंदर तलघर में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है।

दर्शन का प्रारूप:-

मंदिर सुबह 6.00 बजे दर्शन के लिए खुलता है और दिन के 12.30 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। सुबह के समय भक्त शिवलिंग पर दूध चढ़ा सकते हैं।

इसके बाद मंदिर शाम को 5.00 बजे दर्शन के लिए खुलता है और रात में 9.30 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। शाम के समय भक्त मंदिर की संध्या आरती देख सकते हैं।

मंदिर में पूर्णिमा तथा शिवरात्रि के दिन एक अलग ही उत्सव देखने को मिलता है. इस दिन मंदिर सुबह से देर रात तक भक्तों के लिए खुला रहता है।

भक्त भगवान का श्रृंगार दर्शन कर सकते हैं जो की सांयकाल को 4 बजे किया जाता है। इसके बाद शाम को 7 बजे शयन आरती की जाती है।

कैसे पहुंचे?:-

मंदिर के बाहर शंकर की विशाल प्रतिमा 

उड़ान द्वारा:

नागेश्वर में कोई भी एयरपोर्ट नहीं है, इसका नज़दीकी एयरपोर्ट है जामनगर एयरपोर्ट। यदि आप फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले यही उतरना होगा उसके बाद आप वहां से द्वारका जा सकते हैं। जामनगर से द्वारका की दूरी 161 किलोमीटर की है और द्वारका से नागेश्वर की दूरी लगभग 17 किलोमीटर है।

रेल मार्ग द्वारा:

अगर आप ट्रेन द्वारा नागेश्वर जायँगे तो आपको सबसे पहले द्वारका पहुंचना होगा। द्वारका रेल मार्ग से गुजरात के सभी शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। द्वारका पहुंचने के बाद आपको ट्रेन  से ही वेरावल स्टेशन पहुंचना होगा, इसकी दूरी मात्र 7 किलोमीटर की है।

सड़क मार्ग द्वारा:

यदि आप सड़क मार्ग से यहां आने की सोच रहे हैं तो आपको सबसे पहले जामनगर ही आना होगा। यहां आप राजकोट से भी सीधा पहुंच सकते हैं। यहां से द्वारका के लिए आपको आसानी से टैक्सी या बस सेवा मिल जायगी। द्वारका पहुंचने के बाद आप ऑटो रिक्शा से नागेश्वर दर्शन के लिए जा सकते हैं।

 

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