भारत देश साधु-संतो, तीर्थों और मंदिरों का देश है। यहां के कई प्राचीन मंदिर ऐसे हैं जो आज तक विज्ञान के लिए रहस्य बने हुए हैं। इन मंदिरों की विशालता और भव्यता ऐसी है कि आज के समय में आधुनिक तकनीकों द्वारा भी उसे बनाना असंभव है। आज यहां एक ऐसे ही मंदिर की विशेषता हम आपको बताने जा रहे हैं जो लगभग एक हज़ार वर्ष पुरातन होने के साथ साथ भारतीय कला का बेजोड़ नमूना है। यह एक शिव मंदिर है, और यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहरों में शामिल है।
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पूरी तरह से ग्रेनाइट का बना है :-
यह मंदिर है तमिलनाडु के तंजौर में स्थित बृहदेश्वर या बृहदीश्वर मंदिर। इस मंदिर की बनावट अपने आप में एक रहस्य है जिसे समझना इस दौर में भी आसान नहीं हो पाया है। सबसे पहले इसकी रचना में इस्तेमाल किये गए ग्रेनाइट पत्थर की बात करें तो यह विश्व का पहला और एकमात्र ऐसा मंदिर है जो ग्रेनाइट का बना हुआ है। इसके साथ एक आश्चर्य की और बात है कि यह पत्थर इस क्षेत्र के आस पास तो क्या 100 किमी तक के दायरे में कहीं नहीं मिलता। इस बात की कल्पना भी नहीं की जाती कि इन पत्थरों को आखिर कहां से लाया गया होगा।
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पूरी तरह से ग्रेनाइट का बना है :-
यह मंदिर है तमिलनाडु के तंजौर में स्थित बृहदेश्वर या बृहदीश्वर मंदिर। इस मंदिर की बनावट अपने आप में एक रहस्य है जिसे समझना इस दौर में भी आसान नहीं हो पाया है। सबसे पहले इसकी रचना में इस्तेमाल किये गए ग्रेनाइट पत्थर की बात करें तो यह विश्व का पहला और एकमात्र ऐसा मंदिर है जो ग्रेनाइट का बना हुआ है। इसके साथ एक आश्चर्य की और बात है कि यह पत्थर इस क्षेत्र के आस पास तो क्या 100 किमी तक के दायरे में कहीं नहीं मिलता। इस बात की कल्पना भी नहीं की जाती कि इन पत्थरों को आखिर कहां से लाया गया होगा।