राधाकृष्ण जी महाराज संतों से प्रेरित और जनसामान्य द्वारा समर्थित, गायों की महत्ता और भगवान के नाम का प्रसार कर रहे हैं। 'नानी बाई रो मायरो' का प्रचार भी इसी श्रृंखला का एक हिस्सा है जो महाराज जी ने इस उद्देश्य के लिए बुना है।
गोवत्स श्री राधाकृष्णजी महाराज |
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जन्म |
विक्रम संवत 2039 (वर्ष 1982) जोधपुर, राजस्थान, भारत |
जीवन चरित्र
भारतीय मृदा अति समृद्ध है क्योकि वह ईश्वर के महान भक्तों की भूमि है, वह सर्वत्र पूज्यनीय और प्रशंसनीय है। इस धार्मिक मिट्टी पर सबसे बड़े राज्यों में से एक है 'राजस्थान', जो दुनिया भर में अपनी बहादुरी और धार्मिक संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। जोधपुर की जिस भूमि में भगवान श्रीकृष्ण की परम भक्त "मीराबाई" जन्मीं थी, उसी भूमि पर शरद पूर्णिमा के शुभ दिन 'विक्रम संवत 2039 (वर्ष 1982)' में गौर ब्राह्मण परिवार में श्री हरिकशनजी और श्रीमती मंजुलताजी को पुत्र के रूप में महाराज श्री के जन्म का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जन्म पर महाराज श्री का नाम "राधाकृष्ण" रखा गया।
बचपन
गोधाम पथमेड़ा में गोवत्स महाराज जी |
परिवार की धार्मिक पृष्ठभूमि होने के कारण, महाराज श्री का बचपन अपने दादा-दादी के साथ धर्म-भरे माहौल में बीता, जिसके फलस्वरूप भगवान के प्रति उनका प्रेम और आस्था मजबूत हुई। महाराज ने श्री वल्लभाचार्यजी को अपने गुरु के रूप में माना और उनसे दीक्षा प्राप्त की। माता-पिता के आशीर्वाद और भगवान के प्रति समर्पण से प्रेरित, महाराज श्री ने श्री भागवत कथा के माध्यम से प्रेम की अपनी भावनाओं का प्रचार करना शुरू किया।
गऊ सेवा कार्य
सम्मानित महाराज श्री जी "गोधाम पथमेड़ा" (सानावल जलौर) में एक सक्रिय कार्यकर्ता हैं। गौधन गौरीति श्री दत्तशरणानंदजी की सहायता तथा महाराज श्री द्वारा आयोजित भागवत कथाओं में भक्तों द्वारा किए गए योगदानों का उपयोग सूखे से पीड़ित और दुत्कारी गयी गायों की देखभाल तथा पोषण के लिए किया जा रहा है। महाराज श्री वास्तव में युवाओं में नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों की पुनर्स्थापना के लिए सशक्त रूप से काम कर रहे हैं। और संयुक्त परिवार प्रणाली का पुनरुद्धार भी सक्रियता से कर रहे हैं।
आध्यात्मिक प्रयास
1. श्रीमद भागवत कथा
2. 'नानी बाई को मायरो'
3. भक्त चरित्र
4. कीर्तन
5. भजन संध्या और सामान्य व्याख्यान
6. गोवेट्स पाठशाला (युवा शिवर्स)
7. उत्सव और महोत्सव
दर्शनशास्र
संतों और भक्तों के प्यार से प्रेरित होकर, पूज्य महाराज जी समाज में भगवान के नाम के प्रचार और ठाकुरजी के प्रति प्रेम के लिए समर्पित हैं। देश के विभिन्न स्थानों पर चल रहे प्रभात फेरी इसी प्रचार का एक हिस्सा है। कई सालों से महाराज जी ने गाय के संरक्षण और सेवा के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित किया है।
पूज्य संतों और महारत्न श्री से प्राप्त आशीर्वाद प्यार हमेशा जीवन की यात्रा के लिए उपयोगी होता है।
Amreesh Kumar Aarya (वार्ता) 09:31, 14 दिसम्बर 2017 (UTC)Amreesh Kumar Aarya