मोरारी बापू राम चरित्र मानस के एक प्रसिद्ध प्रतिपादक हैं, मोरारी बापू, पूर्ण नाम मोरारिदास प्रभुदास हरिणी का जन्म 25 सितंबर 1947 को महुआ , गुजरात के निकट गांव तलगाजारदा में अस्थि कृष्ण अमावास्या के शुभ दिन पर हुआ था। और अब भी वह अपने परिवार के साथ वहां रहते हैं ।
मोरारी बापू |
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जन्म |
25 सितंबर 1947 को महुआ , गुजरात |
वह वैष्णव बावा साधु निंबार्का वंश से संबंधित हैं, और उन्होंने दादा और गुरु त्रिभुवनदास और दादी अमृत मा की छाँव में अपना ज़्यादातर बचपन गुज़ारा। उनकी दादी प्रेम से घंटों तक उनको लोक कथाएं सुनाती थीं, और उनके दादा उनके साथ राम चरित मानस के ज्ञान को साझा करते थे। बारह साल की उम्र में ही बापू ने पूरे राम चरित मानस को याद किया और चौदह वर्ष में राम कथा को पढ़ना और गायन करना शुरू कर दिया था।
रामायण पढ़ने की उल्लेखनीय यात्रा, जो तीन गांव के लोगों की उपस्थिति से शुरू हुई, ने अब बापू को दुनिया के सभी कोनों में पंहुचा दिया है। अब तक 700 से अधिक कथाओं का आयोजन किया जा चूका है। बापू ने भारत के हर प्रमुख शहर और तीर्थों का भ्रमड़ किया है और श्रीलंका, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, जैसे देशों में लाखों लोगों को आकर्षित किया है। 2011 में, तिब्बत में बापू ने कैलाश पर्वत की तलहटी में, सबसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक राम कथाओं में से एक का आयोजन किया। राम कथा के अलावा बापू ने गोपी गीत पर 19 कथाओं का वाचन किया है, प्रत्येक छंद के लिए एक कथा, आमतौर पर नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान।
रामकथाओं के साथ-साथ, बापू ने भारत में और विश्व स्तर पर शांति की वकालत की है. उन्होंने समुदायों, धर्मों, संप्रदायों और जातियों को एकजुट करने में अपने आप को पूर्णतया समर्पित किया है। बीते दो दशकों से महुवा में मुस्लिम समुदाय द्वारा आयोजित वार्षिक याद-ए-हुसैन कार्यक्रम में बापू मुख्य अतिथि हैं। वह हिंदू और मुस्लिम लड़कियों के लिए शादी समारोह भी आयोजित करते है जो अपनी शादी का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं।
16 सालों से प्रख्यात लेखक और कवि तीन दिवसीय अस्मिता पर्व के दौरान साहित्यिक और शैक्षिक मुद्दों और विकास पर चर्चा करते हैं। शाम के शास्त्रीय संगीत कार्यक्रमों ने भारत के प्रसिद्ध गायक और वाद्यज्ञों को एक पेश किया है।
2006 में, आधुनिक भारतीय भाषाओं में रामायण के क्षेत्रीय संस्करणों पर तालगजर्डा में एक संगोष्ठ का आयोजन किया गया था। तमिलनाडु और पंजाब से ले कर गुजरात और असम तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने इस संगोष्ठी में भाग लेने के लिए आये।
जुलाई 2012 में, वाल्मीकि रामायण पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन डॉ. सत्यव्रत शास्त्री, डॉ राधावलखंड त्रिपाठी, डॉ राजेंद्र नानावटी और रामायण के कई अन्य विद्वानों ने किया था।
![]() Sant Shri Murari Bapu |
सन्दर्भ
Amreesh Kumar Aarya (वार्ता) 09:31, 14 दिसम्बर 2017 (UTC)Amreesh Kumar Aary