Menu

  • Home
  • Guru
  • God
  • Video
    • Aarti
    • Bhajan
    • Mantra
    • Katha
  • Singer
  • Article
  • Yatra
  • Wallpaper
    • Desktop Wallpapers
    • Mobile Wallpapers
Get Socialize
logo
  • logo
  • Home
  • Guru
  • God
  • Video
    • Aarti
    • Bhajan
    • Mantra
    • Katha
  • Singer
  • Article
  • Wallpaper
    • Desktop Wallpapers
    • Mobile Wallpapers

नवरात्रि

नवरात्रि

नवरात्रि एक हिंदू पर्व है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। पौष, चैत्र,आषाढ,अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों - महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा का मतलब जीवन के दुख कॊ हटानेवाली होता है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है।
नौ देवियाँ है :-
• शैलपुत्री - इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।
• ब्रह्मचारिणी - इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
• चंद्रघंटा - इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
• कूष्माण्डा - इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
• स्कंदमाता - इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
• कात्यायनी - इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
• कालरात्रि - इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।
• महागौरी - इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
• सिद्धिदात्री - इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।
शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की। तब से असत्य, अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।
नवदुर्गा और दस महाविद्याओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दशमहाविद्या अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।
 
नवरात्रि भारत के विभिन्न भागों में अलग ढंग से मनायी जाती है। गुजरात में इस त्योहार को बड़े पैमाने से मनाया जाता है। गुजरात में नवरात्रि समारोह डांडिया और गरबा के रूप में जान पड़ता है। यह पूरी रात भर चलता है। डांडिया का अनुभव बड़ा ही असाधारण है। देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबा, 'आरती' से पहले किया जाता है और डांडिया समारोह उसके बाद। पश्चिम बंगाल के राज्य में बंगालियों के मुख्य त्यौहारो में दुर्गा पूजा बंगाली कैलेंडर में, सबसे अलंकृत रूप में उभरा है। इस अदभुत उत्सव का जश्न नीचे दक्षिण, मैसूर के राजसी क्वार्टर को पूरे महीने प्रकाशित करके मनाया जाता है।
महत्व
नवरात्रि उत्सव देवी अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व है। वसंत की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। इन दो समय मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते है। त्योहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं। नवरात्रि पर्व, माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा) की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है। यह पूजा वैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से है। ऋषि के वैदिक युग के बाद से, नवरात्रि के दौरान की भक्ति प्रथाओं में से मुख्य रूप गायत्री साधना का हैं।
नवरात्रि के पहले तीन दिन
नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित किए गए हैं। यह पूजा उसकी ऊर्जा और शक्ति की की जाती है। प्रत्येक दिन दुर्गा के एक अलग रूप को समर्पित है। त्योहार के पहले दिन बालिकाओं की पूजा की जाती है। दूसरे दिन युवती की पूजा की जाती है। तीसरे दिन जो महिला परिपक्वता के चरण में पहुंच गयी है उसकि पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के विनाशकारी पहलु सब बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त करने के प्रतिबद्धता के प्रतीक है।
नवरात्रि के चौथा से छठे दिन
देवी की आरती
व्यक्ति जब अहंकार, क्रोध, वासना और अन्य पशु प्रवृत्ति की बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह एक शून्य का अनुभव करता है। यह शून्य आध्यात्मिक धन से भर जाता है। प्रयोजन के लिए, व्यक्ति सभी भौतिकवादी, आध्यात्मिक धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करता है। नवरात्रि के चौथे, पांचवें और छठे दिन लक्ष्मी- समृद्धि और शांति की देवी, की पूजा करने के लिए समर्पित है। शायद व्यक्ति बुरी प्रवृत्तियों और धन पर विजय प्राप्त कर लेता है, पर वह अभी सच्चे ज्ञान से वंचित है। ज्ञान एक मानवीय जीवन जीने के लिए आवश्यक है भले हि वह सत्ता और धन के साथ समृद्ध है। इसलिए, नवरात्रि के पांचवें दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। सभी पुस्तकों और अन्य साहित्य सामग्रीयो को एक स्थान पर इकट्ठा कर दिया जाता हैं और एक दीया देवी आह्वान और आशीर्वाद लेने के लिए, देवता के सामने जलाया जाता है।
नवरात्रि का सातवां और आठवां दिन
सातवें दिन, कला और ज्ञान की देवी, सरस्वती, की पूजा की है। प्रार्थनायें, आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश के उद्देश्य के साथ की जाती हैं। आठवे दिन पर एक 'यज्ञ' किया जाता है। यह एक बलिदान है जो देवी दुर्गा को सम्मान तथा उनको विदा करता है।
नवरात्रि का नौवां दिन
नौवा दिन नवरात्रि समारोह का अंतिम दिन है। यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। ईस दिन पर, कन्या पूजन होता है। उन नौ जवान लड़कियों की पूजा होती है जो अभी तक यौवन की अवस्था तक नहीं पहुँची है। इन नौ लड़कियों को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। लड़कियों का सम्मान तथा स्वागत करने के लिए उनके पैर धोए जाते हैं। पूजा के अंत में लड़कियों को उपहार के रूप में नए कपड़े पेश किए जाते हैं।
प्रमुख कथा
 
लंका-युद्ध में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण वध के लिए चंडी देवी का पूजन कर देवी को प्रसन्न करने को कहा और बताए अनुसार चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ एक सौ आठ नीलकमल की व्यवस्था की गई। वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमरता के लोभ में विजय कामना से चंडी पाठ प्रारंभ किया। यह बात इंद्र देव ने पवन देव के माध्यम से श्रीराम के पास पहुँचाई और परामर्श दिया कि चंडी पाठ यथासभंव पूर्ण होने दिया जाए। इधर हवन सामग्री में पूजा स्थल से एक नीलकमल रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया और राम का संकल्प टूटता-सा नजर आने लगा। भय इस बात का था कि देवी माँ रुष्ट न हो जाएँ। दुर्लभ नीलकमल की व्यवस्था तत्काल असंभव थी, तब भगवान राम को सहज ही स्मरण हुआ कि मुझे लोग 'कमलनयन नवकंच लोचन' कहते हैं, तो क्यों न संकल्प पूर्ति हेतु एक नेत्र अर्पित कर दिया जाए और प्रभु राम जैसे ही तूणीर से एक बाण निकालकर अपना नेत्र निकालने के लिए तैयार हुए, तब देवी ने प्रकट हो, हाथ पकड़कर कहा- राम मैं प्रसन्न हूँ और विजयश्री का आशीर्वाद दिया। वहीं रावण के चंडी पाठ में यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों की सेवा में ब्राह्मण बालक का रूप धर कर हनुमानजी सेवा में जुट गए। निःस्वार्थ सेवा देखकर ब्राह्मणों ने हनुमानजी से वर माँगने को कहा। इस पर हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा- प्रभु, आप प्रसन्न हैं तो जिस मंत्र से यज्ञ कर रहे हैं, उसका एक अक्षर मेरे कहने से बदल दीजिए। ब्राह्मण इस रहस्य को समझ नहीं सके और तथास्तु कह दिया। मंत्र में जयादेवी... भूर्तिहरिणी में 'ह' के स्थान पर 'क' उच्चारित करें, यही मेरी इच्छा है। भूर्तिहरिणी यानी कि प्राणियों की पीड़ा हरने वाली और 'करिणी' का अर्थ हो गया प्राणियों को पीड़ित करने वाली, जिससे देवी रुष्ट हो गईं और रावण का सर्वनाश करवा दिया। हनुमानजी महाराज ने श्लोक में 'ह' की जगह 'क' करवाकर रावण के यज्ञ की दिशा ही बदल दी।

Facebook Google Twitter Whatsapp Share

Related Text

दीपावली View Wallpaper [ दीपावली]
दीपावली...
होली View Wallpaper [ होली]
होली...
रक्षाबन्धन View Wallpaper [ रक्षाबन्धन]
रक्षाबन्धन...
धनतेरस View Wallpaper [ धनतेरस]
धनतेरस...
जन्माष्टमी View Wallpaper [ जन्माष्टमी]
जन्माष्टमी...
दशहरा View Wallpaper [ दशहरा]
दशहरा...
गुड़ी पड़वा View Wallpaper [ गुड़ी पड़वा]
गुड़ी पड़वा...
छठ पूजा View Wallpaper [ छठ पूजा]
छठ पूजा...
वसन्त पञ्चमी View Wallpaper [ वसन्त पञ्चमी]
वसन्त पञ्चमी...
मकर संक्रान्ति View Wallpaper [ मकर संक्रान्ति]
मकर संक्रान्ति...
नवरात्रि View Wallpaper [ नवरात्रि]
नवरात्रि...
राम नवमी View Wallpaper [ राम नवमी]
राम नवमी...
महाशिवरात्रि View Wallpaper [ महाशिवरात्रि]
महाशिवरात्रि...
राधाष्टमी View Wallpaper [ राधाष्टमी]
राधाष्टमी...
यम द्वितीया भाई दूज View Wallpaper [ यम द्वितीया भाई दूज]
यम द्वितीया भाई दूज...
बैसाखी View Wallpaper [ बैसाखी]
बैसाखी...


  • Video
  • Audio
  • Text
Katha Bhajan
Aarti Spiritual
Stotram Mantra
Kavach Social
Festival Pravachan
Aarti Bhajan
Mantra Chalisa
katha Dhun
Geeta Ramayan
Stotra Pravachan
Aarti Bhajan
Mantra Chalisa
Stotram Festival
Geeta Ramayan
Vrat katha Totke
  • Calendar
  • Horoscope
recent
December 2021 Indian Devotional Calendar ...
recent
November 2021 Indian Devotional Calendar ...
recent
October 2021 Indian Devotional Calendar ...
recent
September 2021 Indian Devotional Calendar ...
recent
August 2021 Indian Devotional Calendar ...
recent
July 2021 Indian Devotional Calendar ...
recent
June 2021 Indian Devotional Calendar ...
recent
May 2021 Indian Devotional Calendar ...
recent
April 2021 Indian Devotional Calendar ...
recent
March 2021 Indian Devotional Calendar ...
recent
February 2021 Indian Devotional Calendar ...
recent
January 2021 Indian Devotional Calendar ...
recent
Aries मेष 01 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2023 ...
recent
Taurus वृषभ 01 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2023 ...
recent
Gemini मिथुन 01 जनवरी 2023 से 31. जनवरी 2023 ...
recent
Cancer कर्क 01 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2023 ...
recent
Leo सिंह 01 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2023 ...
recent
Pisces मीन 01 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2023 ...
recent
Aquarius कुम्भ 01 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2023 ...
recent
Capricorn मकर 01 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2023 ...
recent
Sagittarius धनु 01 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2023 ...
recent
Virgo कन्या 01 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2023 ...

 Subscribe to WHATSAPP

Menu

 Temples
 Calendar
 Horoscope
 Text
 Quotes
 Biography
 Wishes
 Yatra
Audio Category

 Aarti
 Bhajan
 Mantra
 Chalisa
 katha
 Geeta
 Ramayan
 Stotra
Video Category

 Katha
 Bhajan
 Aarti
 Mantra
 Festival
 Pravachan
Social Media

© 2022, All rights reserved.
About | Disclaimer | Contact-Us | Terms | Cancellation & Refunds | Privacy Policy