श्री गंगाजी की आरती
ऊँ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।। ऊँ जय ......
चंद्र सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।। ऊँ जय ........
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।। ऊँ जय ......
एक बार जो प्राणी, शरण तेरी आता।
यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता।। ऊँ जय ......
आरति मातु तुम्हारी, जो नर नित गाता।
सेवक वही सहज में, मुक्ति को पाता।। ऊँ जय ......