सुखी बसे संसार सब दुखिया रहे न कोय । यह अभिलाषा हम सब की , भगवन पूरी होय ।।
विद्या बुध्दि तेज बल सबके भीतर होय । दूध पूत धन-धान्य से वंचित रहे न कोय ।।१।।
आपकी भक्ति प्रेम से मन होवे भरपूर । राग-द्वेष से चित्त मेरा कोसों भागे दूर ।।२।।
मिले भरोसा आपका, हमें सदा जगदीश । आशा तेरे धाम की, बनी रहे मम ईश ।।३।।
हमें बचाओ पाप से , करके दया दयाल । अपना भक्त बनाय कर, हमको करो निहाल ।।४।।
दिल में दया उदारता मन में प्रेम अपार । धैर्य हृदय में धीरता, सबको दो करतार ।।५।।
नारायण तुम आप हो, कर्मफल देनेहार । हमको बुध्दि दीजिए, सुखों के भंडार ।।६।।
हाथ जोड़ विनती करूं सुनिए कृपा निधान । साधु-संगत सुख दीजिए, दया नम्रता दान ।।७।।