रथ सप्तमी :-
01 फरवरी 2020 (शनिवार)
रथ सप्तमी पर स्नान मुहूर्त = 05:07 से 06:48 (1 घंटा 41 मिनट)
अर्घ्यदान के लिए सूर्योदय का समय = 06:48
सप्तमी तिथि प्रारम्भ = 03:31 (31 जनवरी 2020)
सप्तमी तिथि समाप्त = 06:10 (01 फरवरी 2020)
भानु सप्तमी को सूर्य सप्तमी, पुत्र सप्तमी, सूर्यरथ सप्तमी, रथ सप्तमी और आरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है इस दिन भगवान सूर्य ने अपना प्रकाश पृथ्वी पर भेजा था, जिसके बाद धरती से अँधेरा हट गया और वो प्रकाशवान हो गई थी। इसलिए इसे सूर्य जयंती के नाम से भी जानते है।
क्यों मनाते हैं भानु सप्तमी :-
जब सप्तमी रविवार के दिन आती हैं, उसे भानु सप्तमी कहा जाता हैं। इस दिन भगवान सूर्य देव पहली बार सात घोड़ो के रथ पर सवार हो कर प्रकट हुए थे। रविवार का दिन भगवान सूर्य देव का माना जाता हैं। उस दिन सूर्य देव की उपासना का महत्व होता हैं।
माघ के महीने में जब भानु सप्तमी होती हैं, उसे अचला भानु सप्तमी कहा जाता हैं। सूर्य देव उर्जा के सबसे बड़े स्त्रोत माने जाते हैं, इनकी पूजा अर्चना से सौभाग्य मिलता हैं। रविवार के दिन सूर्य को अर्ध्य देने का महत्व अधिक होता हैं। मानव जाति के अस्तित्व के लिए सूर्य का बहुत बड़ा योगदान हैं।
सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता हैं। यह सभी गृहों के मध्य में स्थित हैं। ब्रह्माण्ड में सूर्य के चारो तरफ ही सभी गृह चक्कर काटते हैं। विभिन्न गृहों में सूर्य की स्थिती में परिवर्तन से दशाओं में भी परिवर्तन आता हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य का प्रभाव गृहों पर अधिक होता हैं। इस दिन सूर्य की किरणे जब सूर्य यंत्र पर पड़ती हैं, तब महाभिषेक किया जाता हैं।
भानु सप्तमी के दिन, लोग सूर्य देव को खुश करने के लिए आदित्य हृदयं और अन्य सूर्य स्त्रोत पढ़ते एवम सुनते हैं, जिसके कारण रोगी मनुष्य स्वस्थ होता हैं एवम स्वस्थ निरोग रहता हैं। सभी सप्तमी में भानु सप्तमी का विशेष स्थान होता हैं। यह विशेषतौर पर दक्षिणी एवम पश्चिमी भारत में मनाई जाती हैं। जब सप्तमी रविवार के दिन पड़ती हैं, उस दिन को भानु सप्तमी कहा गया है, यह किसी भी पक्ष (शुक्ल अथवा कृष्ण) की हो सकती हैं।
1. सूर्योदय से स्नान करके सबसे पहले सूर्यदेव को जल चढ़ाते हैं।
2. ‘वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरुमेदेव सर्व कार्येशु सर्वदा’ इस मंत्र का उच्चारण कर सूर्य को जल चढ़ाते हैं।
3. अपनी ही जगह पर परिक्रमा करते हैं।
4. इस दिन कई लोग उपवास रखते हैं।
5. पवित्र नदियों पर स्नान करते हैं।
6. दक्षिण भारत में सूर्योदय के पूर्व स्नान करके घर के द्वार पर रंगोली डाली जाती हैं।
7. इस दिन गेंहू की खीर बनाई जाती हैं।
1. सूर्य देव कि अर्चना करने से रोगी का शरीर निरोग होता हैं। और जो स्वस्थ हैं वो सदैव स्वस्थ रहते हैं।
2. रोज भगवान सूर्य को जल चढ़ाने से बुद्धि का विकास होता हैं। मानसिक शांति मिलती हैं।
3. भानु सप्तमी के दिन सूर्य की पूजा करने से स्मरण शक्ति बढ़ती हैं।
4. इस एक दिन की पूजा से ब्राह्मण सेवा का फल मिलता हैं।
5. इस दिन दान का भी महत्व होता हैं ऐसा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता हैं।