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Dakshineswar Kali Temple

Dakshineswar Kali Temple

कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद पुल के पास दक्षिणेश्वर काली मंदिर स्थित है। यह मंदिर बीबीडी बाग से 20 किलोमीटर दूर है, 

दक्षिणेश्वर मंदिर देवी माँ काली के लिए ही बनाया गया है। दक्षिणेश्वर माँ काली का मुख्य मंदिर है।बताया जाता है कि खुद काली मां ने शूद्र जमींदार की विधवा पत्नी रासमणि को सपना देकर इस मंदिर को बनवाने की बात कही थी

दक्षिणेश्वर मंदिर तो वहीं कहा जाता है कि, एक समय यहां रासमणि नाम की रानी थी। रासमणि मां काली की बड़ी भक्त थी। रानी समुद्र के रास्ते होते हुए काशी के काली मंदिर में पूजा करने के जाया करती थी। एक बार रानी अपने संबंधियों अौर नौकरों के साथ मां काली के मंदिर में जाने की तैयारियां कर रही थी। तभी रानी को मां काली ने सपने में दर्शन देकर इसी स्थान पर माता का मंदिर बनवाने और उनकी सेवा करने का आदेश दिया। माता काली के आदेश पर रासमणि रानी ने वर्ष 1847 में यहां मंदिर बनवाना शुरु किया, जोकि वर्ष 1855 तक पूर्ण हो गया

प्रसिद्ध मंदिर कोलकाता के प्रसिद्ध और जाग्रत मंदिर दक्षिणेश्वर का ये मंदिर कई सालों से कोलकाता का एक महान धर्मस्थल बना हुआ है। इस मंदिर में पुजारी भी पैर रखने से डरते थे। हिन्दुओं की पुरानी जाति व्यवस्था और बंगाल की कुलीन प्रथा की वजह से यहां रहना उस समय काफी जोखिम भरा माना जाता था।

मंदिर काली माँ का मंदिर नवरत्न की तरह निर्मित है और यह 46 फुट चौड़ा तथा 100 फुट ऊँचा है। मंदिर के भीतरी भाग में चाँदी से बनाए गए कमल के फूल जिसकी हजार पंखुड़ियाँ हैं, पर माँ काली शस्त्रों सहित भगवान शिव के ऊपर खड़ी हुई हैं

मंदिर के पास बहती है गंगा इस मंदिर के पास पवित्र गंगा नदी जो कि बंगाल में हुगली नदी बहती है।

मंदिर की वास्तुकला इस मंदिर में 12 गुंबद हैं। यह मंदिर हरे-भरे, मैदान पर स्थित है। इस विशाल मंदिर के चारों ओर भगवान शिव के बारह मंदिर स्थापित किए गए हैं।

रामकृष्ण परमहंस

 प्रसिद्ध विचारक रामकृष्ण परमहंस ने माँ काली के मंदिर में देवी की आध्यात्मिक दृष्टि प्राप्त की थी तथा उन्होंने इसी स्थल पर बैठ कर धर्म-एकता के लिए प्रवचन दिए थे। रामकृष्ण इस मंदिर के पुजारी थे तथा मंदिर में ही रहते थे। उनके कक्ष के द्वार हमेशा दर्शनार्थियों के लिए खुला रहते थे।

दक्षिणेश्वर मंदिर दक्षिण की ओर स्थित यह मंदिर तीन मंजिला है। ऊपर की दो मंजिलों पर नौ गुंबद समान रूप से फैले हुए हैं। गुंबदों की छत पर सुन्दर आकृतियाँ बनाई गई हैं। मंदिर के भीतरी स्थल पर दक्षिणा माँ काली, भगवान शिव पर खड़ी हुई हैं। देवी की प्रतिमा जिस स्थान पर रखी गई है उसी पवित्र स्थल के आसपास भक्त बैठे रहते हैं तथा आराधना करते हैं।

दक्षिणेश्वर माँ काली का मंदिर विश्व में सबसे प्रसिद्ध है। भारत के सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों में माँ काली का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है।

मंदिर के खुलने का समयप्रातःकाल 5.30 से 10.30 तक। संध्याकाल 4.30 से 7.30 तक।

प्रांगण
इस मंदिर के सामने नट मंदिर स्थित है। मुख्य मंदिर के पास अन्य तीर्थ स्थलों के दर्शन के लिए भक्तजन की भीड़ लगी रहती है। दक्षिणेश्वर माँ काली का मंदिर विश्व में सबसे प्रसिद्ध है। भारत के सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों में माँ काली का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है। दक्षिणेश्वर माँ काली का मंदिर विश्व में सबसे प्रसिद्ध है। भारत के सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों में माँ काली का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है।

मंदिर की उत्तर दिशा में राधाकृष्ण का दालान स्थित है। पश्चिम दिशा की ओर बारह शिव मंदिर बंगाल के अटचाला रूप में हैं। चाँदनी स्नान घाट के चारों तरफ शिव के मंदिर हैं। छ: मंदिर घाट के दोनों ओर स्थित हैं। मंदिर की तीनों दिशाएँ उत्तर, पूर्व, पश्चिम में अतिथि कक्ष तथा ऑफिस स्थित हैं। पर्यटक साल में हर समय यहाँ पर भ्रमण करने आ सकते हैं।

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